जागहु लाल ग्वाल सब टेरत।
कबहुँ पितंबर डारि बदन पर, कबहुँ उघारि जननि तन हेरत।
सोवत मैं जागत मनमोहन, बात सुनत सबकी, अवसेरत।
बारंबार जगावति माता, लोचन खोलि पलक पुनि गेरत।
पुनि कहि उठी जसोदा मैया, उठहु कान्ह रवि किरनि उजेरत।
सूर स्याम, हँसि चितै मातु- मुख, पट कर लै, पुनि-पुनि मुख फेरत।।405।।