जागहु लाल ग्‍वाल सब टेरत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल



जागहु लाल ग्‍वाल सब टेरत।
कबहुँ पितंबर डारि बदन पर, कबहुँ उघारि जननि तन हेरत।
सोवत मैं जागत मनमोहन, बात सुनत सबकी, अवसेरत।
बारंबार जगावति माता, लोचन खोलि पलक पुनि गेरत।
पुनि कहि उठी जसोदा मैया, उठहु कान्‍ह रवि किरनि उजेरत।
सूर स्‍याम, हँसि चितै मातु- मुख, पट कर लै, पुनि-पुनि मुख फेरत।।405।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः