जननि जगावति उठौ कन्‍हाई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सूहा बिलावल



जननि जगावति उठौ कन्‍हाई। प्रगट्यौ तरनि, किरनि महि छाई।
आवहु चंद्र बदन दिखराई। बार-बार जननी बलि जाई।
सखा द्वार सब तुमहिं बुलावत। तुम कारन हम धाए आवत।
सूर स्‍याम उठि दरसन दीन्‍हौ। माता देखि मुदित मन कीन्‍हौं।।406।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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