कौन कान्‍ह, को तुम, कह मांगत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग कान्‍हरौ


कौन कान्‍ह, को तुम, कह माँगत
नौकैं करि सबकौं हम जानतिं, बातैं कहत अनागत।।
छाँड़ि देहु हमकौ जनि रोकहु, बृथा बढा़वत रारि।
जैहै बात दूरि लौं ऐसी, परि है बहुरि खँभारि।।
आजुहिं दान पहिरि ह्याँ आए, कहा दिखाबहु छाप।
सूर स्‍याम वैसैंहिं चलौ, ज्‍यौं चलत तुम्‍हारौ बाप।।1507।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः