कहा बैर हमसौं वह करिहै।
वाकी जाति भलैं करि पाई, हमकौं कहा निदारिहै।।
कैहै कहा चोरटी हमसौं, बातहिं बात उघरिहै।
दूरि करौं लँगराई वाकी, मेरैं फंग जौ परिहै।।
हमसौं बैर कियैं कह पैहै, काज कहा पुनि सरिहै।
सूरदास मटुकी सिर लीन्हे, बहुरि बैसैंही ररिहै।।1725।।