अब द्वारे तै टरत न स्याम -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिहागरौ


अब द्वारे तै टरत न स्याम।
अब पर घर की सौह करत है भूलि करौ नहिं ऐसे काम।।
अब तू मान तजै जनि उनसौं, यह कहन आई तेरै धाम।
अब समुझी औरौ समुझैवे? हम जब कहै करै तब ताम।।
अब मोकौ यह जानि परी है, काहू कै न बसै कहुँ जाम।
'सूरदास' दूती की बानी सुनति, धरति मन ही मन काम।।2568।।

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