जैसै जन की पैज न जाइ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल



जैसै जन की पैज न जाइ।
अंगीकार करहु प्रभु मेरे, सुनहु बिहारीराइ।।
ताड़पत्र पर दियौ लगन लिखि, विजय करहु जदुराइ।
नातरु मेरौ मरन होइगौ, असुर छुवैगौ आइ।।
राजकुमारि सोचि जिय अपने, कर मीड़ै पछताइ।
'सूरदास' प्रभु कौ रथ आवै, स्वेत धुजा फहराइ।। 4174।।

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