"सूरसागर दशम स्कन्ध उत्तरार्द्ध" श्रेणी में पृष्ठ इस श्रेणी में निम्नलिखित 186 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 186 अ अब तुम हो परम सयाने -सूरदास अब निज नैन अनाथ भए -सूरदास अब मोहिं निसि देखत डर लागै -सूरदास अब हरि आइहैं जनि सोचै -सूरदास अविगत गति जानी न परे -सूरदासआ आधौ श्रीवृषभानु कौ आधौ -सूरदास आवहु री मिलि मंगल गावहु -सूरदासइ इती बात तब तै न कही री -सूरदास इनही भूलि रहे सब भोगी -सूरदासउ उघरि आयौ परदेसी कौ नेहु -सूरदास उडुपति सौ बिनवति मृग नयनी -सूरदास उती हूर तै को आवै री -सूरदास उर बैजती सोभा अति बनी -सूरदासऐ ऐसी प्रीति कौ बलि जाउँ -सूरदास ऐसै और कौन पहिचानै -सूरदासऔ और को जानै रस की रीति -सूरदासक कंस खल दलन, रन राम रावन हतन -सूरदास कछु किए न जाइ गति ताकी -सूरदास कत सिधारौ मधुसूदन पै -सूरदास करत कछु नाही आजु बनी -सूरदास कहहु नाथ कहँ आवई -सूरदास कहा भयौ मेरौ गृह माटी कौ -सूरदास कहि न सकति सकुचति इक बात -सूरदास कालिंदी करि कह्यौ हमारौ -सूरदास कालिंदी है हरि की प्यारी -सूरदास कुँवर तन स्याम मनुकाम है दूसरौ -सूरदास कुँवरि रुकमिनी कमला औतरी -सूरदास कुँवरि सुनि पायौ अति आनंद -सूरदास कैसै मिले पिय स्याम सँघाती -सूरदासग गुरु गृह हम जब बन कौ जात -सूरदास गोविंद परम कृपा मैं जानी -सूरदासघ घरही बैठे दोऊ दास -सूरदासच चढ़े जदुनंदन बनक बनाइ कै -सूरदास चले हरि धर्मसुवन के देस -सूरदासज जदुपति दीख सुदामा आवत -सूरदास जमुना आइ गई बलदेव -सूरदास जात्यौ जीत्यौ हो जादवपति रिपु दल मारयौ -सूरदास जाहि कहाँ अपराध भरे -सूरदास जीत्यौ जरासंध बँदि छोरी -सूरदास जैसै जन की पैज न जाइ -सूरदास जौ पै लै जाइ कोउ मोहि द्वारिका कै देस -सूरदासत तब तै बहुरि न कोऊ आयौ -सूरदास तब हरि अर्जुन पहुँचे तहाँ -सूरदास तातै अति मरियत अपसोसनि -सूरदास तुम्हरे देस कागद मसि खूटी -सूरदास तेऊ चाहत कृपा तुम्हारी -सूरदास तेरी जीवन मूरि मिलहि किन माई -सूरदास तेरी माइ सकल जग खोयौ -सूरदास तोसौ गारि कहा कहि दीजै -सूरदासद दधिसुत जात हौ उहिं देस -सूरदास दिन द्वारावति देखन आवत -सूरदास दीन द्विज द्वारै आइ भयौ ठाढ़ौ -सूरदास दीन बंधु ब्रजनाथ कबै मुख देखिहौ -सूरदास दूरिहि तै देख्यौ बलबीर -सूरदास देखत भूलि रह्यौ द्विज दीन -सूरदास देखहिं दौरि द्वारिकावासी -सूरदास देखि रूप सब नगर के लोग -सूरदास देखो री सखि आजु नैन भरि -सूरदास द्विज कहियौ जदुपति सौ बात -सूरदास द्विज कहियौ हरि कौ समुझाइ -सूरदास द्विज पाती दै कहियौ स्यामहिं -सूरदास द्विज बेगि धावहु कहि पठावहु -सूरदास द आगे. द्विविध करि क्रोध हरि पुरी आयौ -सूरदासन नंद जसोदा सब व्रजवासी -सूरदास नमो नमस्ते बारंबार -सूरदास नाथ और कासौ कहौ गरुड़गामी -सूरदास नायौ नहिं माई कोइ तौ -सूरदास नृप सुदच्छिन महादेव ध्यायौ -सूरदास नैना भए अनाथ हमारे -सूरदासप पथिक कह्यौ ब्रज जाइ -सूरदास पथिक, कहियो हरि सौ यह बात -सूरदास पाती दीजौ स्याम सुजानहिं -सूरदास प्रद्युम्नजन्म सुभ घरी लीन्हौ -सूरदास प्रभु तुव मर्म समुझि नहिं परे -सूरदासब बहुरौ हो ब्रज बात न चाली -सूरदास बायस गहगहात सुनि सुंदरि -सूरदास बार सत्तरह जरासंध -सूरदास बारुनि बल घूमिति लोचन बन -सूरदास बारुनी बलराम पियारी -सूरदास बाल मृगी सी आँगन ठाढ़ी -सूरदास बिधि सौ अरध पाँवडे दीन्हें -सूरदास बिनती करत गुबिंद गुसाई -सूरदास बिनु गुपाल और मोहि -सूरदास बिप्र भवन रथ चढ्यौ -सूरदास बिप्रनि गो दीन्ही बहुत जुगुति करि -सूरदास बूझति है रुकुमिनी पिय इनमै -सूरदास बैठि असुर सब सभा रुक्म -सूरदास ब्रज पर बहुरौ लागे गाजन -सूरदास ब्रज पर मँडर करत है काम -सूरदासभ भक्त काज हरि जित कित सारे -सूरदास भक्त बछल हरि भक्त उधारन -सूरदास भक्त बछल हरि भक्त उधारन2 -सूरदास भक्तबछल श्री जादव राइ -सूरदास भुवन चतुर्दस राज सकल -सूरदास भूलौ द्विज देखौ अपनौ घर -सूरदासम मन मोहन खेलत चौगान -सूरदास माई री कैसै बनै हरि कौ ब्रज आवन -सूरदास माधव या लगि है जग जीजत -सूरदास माधौ आवनहार भए -सूरदास मानहु मेघ घटा अति बाढ़ी -सूरदास मानौ विधि अब उलटि रची री -सूरदासय याही तै सूल रही सिसुपालहिं -सूरदासर रटति कृष्न गोविंद हरि हरि मुरारी -सूरदास रटति कृष्न गोविंद हरि हरि मुरारी2 -सूरदास राज रवनि गावतिं हरि कौ जस -सूरदास राधा नैन नीर भरि आए -सूरदास राधा माधव भेंट भई -सूरदास रुकमिनि देवी मंदिर आई -सूरदास रुकमिनि बूकति है गोपालहि -सूरदास रुकमिनि मोहिं निमेष न बिसरत -सूरदास रुकमिनि मोहिं ब्रज बिसरत नाही -सूरदास रुकमिनि राधा ऐसे भेटी -सूरदास रुकमिनी चलौ जन्मभूमि जाहिं -सूरदास रे सुत बिनु गोबिंद कोउ नाही -सूरदासल लागे रुक्म गुहार संग -सूरदासव वसुद्यो नदन त्रिभुवन वंदन -सूरदास वह तौ नित नूतन रति जोरे -सूरदास वह सुधि आवत तोहिं सुदामा -सूरदास वीर बटाऊ पाती लीजौ -सूरदास व्रज वासिनि कौ हेत -सूरदास व्रजवासिनि सौ सबनि तै व्रज हित मेरै -सूरदासश श्री गुपाल तुम कहौ सो होइ -सूरदास श्री जादौपति व्याहन आयौ -सूरदासस सखी पर होइँ तौ उड़ि जाउँ -सूरदास स आगे. सबहिनी तै हित है जन मेरी -सूरदास सुकदेव कहत सुनौ राजा -सूरदास सुकदेव कहत सुनौ राजा2 -सूरदास सुदामा गृह कौ गमन कियौ -सूरदास सुदामा मंदिर देखि डरयौ -सूरदास सुदामा सोचत पंथ चले -सूरदास सुधा सरोवर चिबुक अनूपम -सूरदास सुनत हरि रुकमिनि कौ संदेस -सूरदास सुनि सतभामा सौह तिहारी -सूरदास सुनियत कहूँ द्वारिका बसाई -सूरदास सुभट साल्व करि क्रोध हरि पुरी आयौ -सूरदास सुभट साल्व करि क्रोध हरि पुरी आयौ2 -सूरदास सुभट साल्व करि क्रोध हरि पुरी आयौ3 -सूरदास सुरपति आयौ सँग आपुन सची -सूरदास सोच पोच निवारि री उठि देखि -सूरदास स्याम जब रुकमिनी हरि सिधाए -सूरदास स्याम जब रुकमिनी हरि सिधाए2 -सूरदास स्याम बलराम कौ सदा गाऊँ -सूरदास स्याम बलराम कौ सदा ध्याऊँ -सूरदास स्याम बलराम गुन सदा गाऊँ -सूरदास स्याम बलराम गुन सदा गाऊँ2 -सूरदास स्याम बलराम जब कंस मारयौ -सूरदास स्याम बलराम यह सुनत धाए -सूरदास स्याम बलराम यह सुनत धाए2 -सूरदास स्याम बलराम यह सुनत धाए3 -सूरदास स्याम बिनु भई सरद निसि भारी -सूरदास स्याम राम के गुन नित गाऊँ -सूरदास स्याम राम के गुन नित गाऊँ2 -सूरदास स्याम राम के गुन नित गाऊँ3 -सूरदासह हम तौ इतनै ही सचु पायो -सूरदास हमतै कमल नयन भए दूरि -सूरदास हमारे हरि चलत कहत है दूरि -सूरदास हरि की लीला देखि नारद चकित भए -सूरदास हरि की लीला देखि नारद चकित भए2 -सूरदास हरि की लीला देखि नारद चकित भए3 -सूरदास हरि की लीला देखि नारद चकित भए4 -सूरदास हरि के रूप रेख नहिं राजा -सूरदास हरि चरनारबिंद उर धरौ -सूरदास हरि चरनारबिंद उर धरौ2 -सूरदास हरि जू इते दिन कहाँ लगाए -सूरदास हरि जू वै सुख बहुरि कहाँ -सूरदास हरि दरसन सत्नाजित आयौ -सूरदास हरि निकट सुभट दंतवक्र आयौ -सूरदास हरि बिनु कौन दरिद्र हरै -सूरदास हरि यह सुनत गए ता वन मैं -सूरदास हरि सौ ठाकुर और न जन कौ -सूरदास हरि सौ बूझति रुकमिनि इनमै -सूरदास हरि हरि सुमिरौ सब कोइ -सूरदास हरि हरि हरि सुमिरन करौ -सूरदास हरि हरि हरि सुमिरहु सब कोइ -सूरदास हरि हरि हरि सुमिरी दिन रात -सूरदास हरि हरि हरि सुमिरौ सब कोइ -सूरदास हरि हरि हरि सुमिरौ सब कोइ2 -सूरदास हरि हरि हरि सुमिरौ सब कोई -सूरदास हरि हरि हरि हरि सुमिरन करौ -सूरदास हरि-हरि-हरि सुमिरौ सब कोइ -सूरदास हरि-हरि-हरि सुमिरौ सब कोइ2 -सूरदास हौ इहाँ तेरेहि कारन आयी -सूरदास हौ कैसै कै दरसन पाऊँ -सूरदास हौ तौ आई मिलन गुपालहि -सूरदास हौ प्रभु जनमजनम की चेरी -सूरदास हौ फिरि बहुरि द्वारिका आयौ -सूरदास