हँसत कहौ मैं तोसौं प्यारी।
मन मैं कछू बिलग जनि मानैं, मैं तेरी महतारी।।
बहुतैं दिवस आजु तू आई, राधा मेरैं धाम।
महरि बड़ी मैं सुघरि सुनी है, कछु सिखयौ गृह-काम?
मैया जब मोहिं टहल कहति कछु, खिझत बबा वृषभान।
सुर महरि सौं कहति राधिका, मानौ अतिहिं अजान।।724।।