दूध-दोहनी लै री मैया।
दाऊ टेरत सुनि मैं आऊँ तब लौं करि बिधि धैया।।
मुरली-मुकुट-पितांबर दै मोहिं, लै आई महतारी।
मुकुट-धरयौ सिर, कटि पीतांबर, मुरली कर लियौ धारी।।
राधा-राधा कहि मुरली मैं खरिकहिं लई बुलाइ।
सूरदास प्रभु चतुर-सिरोमनि, ऐसी बुद्धि उपाइ।।725।।