दूध-दोहनी लै री मैया -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली


दूध-दोहनी लै री मैया।
दाऊ टेरत सुनि मैं आऊँ तब लौं करि बिधि धैया।।
मुरली-मुकुट-पितांबर दै मोहिं, लै आई महतारी।
मुकुट-धरयौ सिर, कटि पीतांबर, मुरली कर लियौ धारी।।
राधा-राधा कहि मुरली मैं खरिकहिं लई बुलाइ।
सूरदास प्रभु चतुर-सिरोमनि, ऐसी बुद्धि उपाइ।।725।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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