सौति धरौ यह जोग आपनौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग


  
सौति धरौ यह जोग आपनौ, ऊधौ पाइँ परौ।
कहँ रसरीति, कहाँ तनसोधन, सुनि सुनि लाज मरौ।।
चंदन छाँड़ि बिभूति बतावत, यह दुख कौन जरौ।
सगुन रूप-जु रहत उर अंतर, निरगुन कहा करौ।।
निसि दिन रसना रटत स्याम गुन, का करि जोग भरौ।
नासा कर गहि ध्यान सिखावत, बेसरि कहाँ धरौ।।
मुद्रा न्यास अंग आभूषन, पतिब्रत तै न टरौ।
'सूरदास' यहै व्रत मेरै, हरि पल नहिं बिसरौ।।3551।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः