मेरौ माई ऐसौ हठी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग रामकली



(मेरौ माई) ऐसौ हठी, बाल गोबिंदा।
अपने कर गहि गगन बतावत खेलन कौं मांगै चंदा।
बासन मैं जल धरयौ जसोदा, हरि कौं आनि दिखावै।
रुदन करत, ढूंढ़त नहिं पावत, चंद धरनि क्यौं आवै।
मधु-मेवा-पकवान-मिठाई, माँगि लेहु मेरे छौना।
चकई-डोरि‍ पाट के लटकन, लेहु मेरे लाल खिलौना।
संत उबारन, असुर-सँहारन, दूरि करन दुख-दंदा।
सूरदास बलि गई जसोदा उपज्यौ कंस-निकंदा।।192।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः