महाराज दसरथ तहँ आए -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग सारंग
दशरथ का जनक पुर आगमन


  
महाराज दसरथ तहँ आए।
बैठे जाइ जनक-मंदिर महँ मोतिनि चौक पुराए।
बिप्र लगे घुनि बेट उचारन, जुवतिनि मंगल गाए।
सुर-गंध्रव-गन कोटिक आए, गगन बिमाननि छाए।
राम-लषन अरु भरत-सत्रुहन व्याह निरखि सुख पाए।
सूर भयो आनंद नृपति मन, दिवि दुंदुभी बजाए।।24।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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