भली बात बाबा आवन ढै।
कान्ह लगाइ देति मोहिं गारी, ऐसे बड़े भए कब तैं वै।।
कालहि मोहिं मारग मैं रोक्यौ, जाति रहि सखियन संग दधि लै।
कहन लगे केरौ देहु खिलौना, ता दिन लै भागी चुराइ कै ।।
छठ आठैं मोहि कान्हख कुँवर सौं, तिनकौं कहति प्रीति तोसौं है।
सूर जननि सुनि-सुनि यह बानी, पुनि-पुनि निरखि-निरखि मुख बिहँसै।।1717।।