अब राधा तू भई सयानी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सूहौ बिलावल


अब राधा तू भई सयानी।
मेरी सीख मानि हिरदय धरि, जहँ-तहँ डोलति बुद्धि-अयानी।।
भई लाज की सामा तनु मैं, सुनि यह बात कुँवरि मुसुकानी।
हँसति कहा मैं कहति भली तोहिं, सुनति नहीं लोगनि की बानी।।
आजुहिं तैं कहुँ जान न दैहौं, मा तेरी कछु अकथ कहानी।
सूर स्याम कै संग न जैहौं, जा कारन तू मोहिं रिसानी।।1716।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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