प्रीति तौ मरिबौऊ न बिचारै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग मलार


प्रीति तौ मरिबौऊ न बिचारै।
निरखि पतंग ज्योति पावक ज्यौ, जरत न आपु सँभारै।।
प्रीति कुरंग नाद मन मोहित, बधिक निकट ह्वै मारै।
प्रीति परेवा उड़त गगन त, गिरत न आपु सँभारै।।
सावन मास पपीहा बोलत, पिय पिय करि जु पुकारै।
'सूरदास' प्रभु दरसन कारन, ऐसी भाँति बिचारै।। 3290।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः