प्रगट करौ यह बात कन्हाई।
बान, कमान, कहाँ किहि मारयौ, काकैं गर हम फांस लगाई।।
काकै सिर पढ़ि मंत्र दियौ हम, कहाँ हमारै पास दिनाई।
मिलवत कहाँ कहाँ की बातैं, कहत अति गई सकुचाई।।
तब मानै सब हमहिं बताबहु, कहौ नहीं तौ नंद -दुहाई।
सूर स्याम तब कयौ सुनहुगी एक-एक करि देउँ बताई।।1584।।