जमुना तै हौ बहुत रिझायौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग कल्यान


जमुना तै हौ बहुत रिझायौ।।
अपनी सौह दिये नंददुहाई, ऐसौ सुख मैं कबहुँ न पायौ।।
मिले मातु पितु बंधु स्वजन सब, सखनि संग बन बिहरन आयौ।
आज अनंत भगवंत धरनि धर, सुबस कियौ प्रिय गान सुनायौ।।
भयौ प्रसन्न प्रेम हित तेरे, कलिमल हरे जु इहिं जल न्हायौ।
अब जिय सकुच कछू माते राखहि, मागि 'सूर' अपनौ मन भायौ।।2913।।

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