ग्वाल हँसे मुख हेरि कै 2 -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रागिनी टोढ़ी


महर हँसे छवि देखि कै, अति बने कन्हाई।
सुनि जननी तहँ आइ, आजु अति बने कन्हाई।।
हँसि लीन्हौ उर लाइ कै, अति बने कन्हाई।
आनंद उर न समाइ, आजु अति बने कन्हाई।।
कछुक खीझि कछु हँसि कह्यौ, अति बने कन्हाई।
किन यह कीन्हौ हाल, आजु अति बने कन्हाई।।
लेति बलैया वारि कै, अति बने कन्हाई।
ये ऐसियै ब्रजबाल, आजु अति बने कन्हाई।।
रँग रँग पहिरावनि दई, अति बने कन्हाई।
जुवतिनि महर बुलाइ, आजु अति बने कन्हाई।।
यह सुख प्रभु कौ देखि कै, अति बने कन्हाई।
'सूरदास' बलि आइ, आजु अति बने कन्हाई।।2899।।

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