ग्वाल हँसे मुख हेरि कै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रागिनी टोढ़ी


ग्वाल हँसे मुख हेरि कै, अति बने कन्हाई।
हलधर कौ लियौ टेरि, आजु अति बने कन्हाई।।
हो हो करि करि कहत है, अति बने कन्हाई।
रहे चहूँघा घेरि, आजु अति बने कन्हाई।।
ऐसेहि चलियै नंद पै, अति बने कन्हाई।
बल की सौह दिवाइ, आजु अति बने कन्हाई।।
भुजा गहे तहँ लै गए, अति बने कन्हाई।
वह छवि बरनि न जाइ, आजु अति बने कन्हाई।।
इत जुवती मन हरत है, अति बने कन्हाई।
उतहिं चले ह्वै भोर, आजु अति बने कन्हाई।।
और सखी आई तहाँ, अति बने कन्हाई।
करि करि नैन चकोर, आजु अति बने कन्हाई।।

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