क्यौ आए उठि भोर इहाँ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


क्यौ आए उठि भोर इहाँ।
काहे कौ इतनौ सरमाने, रैनि रहे फिरि जाहु तहाँ।।
हमकौ कहा इती गरुआई, उनही क्यौ न सम्हारी जू।
उन आए ह्याँ नाही जान्यौ, अजहूँ लौ पग धारौ जू।।
हमहूँ बोलि उहाँई लीजौ, डर उनकौ हमहूँ कौ है।
'सूर' स्याम तिनही सुख दीजै, जो बिलसै सँग तुमकौ लै।।2539।।

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