कौन परी मेरे लालहिं बानि।
प्रात समय जागन की बिरियाँ सोवत है पीतांबर तानि।।
संग सखा ब्रज-बाल खरे सब, मधुबन धेनु-चरावन-जान।
मातु जसोदा कब की ठाढ़ी, दधि-ओदन भोजन लिये पान।।
तुम मोहन जीवन-धर मेरे, मुरली नैंकु सुनावहु कान।
यह सुनि स्रवन उठे नंदनंदन, बंसी निज मांग्यौ मृदु बानि।।
जननि कहति लेहु मनमोहन, दधि ओदन घृत आन्यौ सानि।
सूर सुबलि-बलि जाउँ बेनु की जिहिं लगि लाल जगे हित मानि।।1211।।