कहति सखिनि सौ राधिका -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


कहति सखिनि सौ राधिका, तुम कहति कहा री।
मेरी सौ, का हँसति हौ, सुनि चकित महा री।।
पीक कपोलनि यौ लग्यौ, मुख पोछन लागी।
कहाँ स्याम कहँ मै रही, कब धौ निसि जागी।।
उरज करज निज करज कौ, गर हार सँवारत।
सहज कछुक निसि मै जगी, बचननि सर मारत।।
कहति और की औरई, मै तुमहिं दुरैहौ।
'सूर' स्याम सँग जौ मिलौ, तुम सौ नहिं कैहौ?।।2653।।

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