आजु बनी नव रंग किसोरी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल


आजु बनी नव रंग किसोरी। रसिक कुँवर मोहन सँग जोरी।।
बिथुरी अलक सिथिल कटि डोरी। कनकलता मनु पवन झकोरी।।
अधर दसन छन कछु छवि छोरी। दरपन लै देखौ मुख गोरी।।
सुख लूटत अतिही भई भोरी। 'सूर' सखी डारति तृन तोरी।।2654।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः