ऐसौ सुनियत है द्वै माह -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मलार


ऐसौ सुनियत है द्वै माह।
इतने मैं सब बात समझवी चतुर सिरोमनि नाह।।
आवन कह्यौ बहुत दिन लाए, करी पाछिली गाह।
हमहिं छाँड़ कुबिजा मन बाँध्यौ, कौन वेद की राह।।
एतेहुँ पर संतोष न मानत, परे हमारे डाह।
'सूरदास' प्रभु पूरौ दीजै, दिन दस मानी साह।। 3366।।

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