आजु परम दिन मंगलकारी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग धनाश्री


आजु परम दिन मंगलकारी।
लोक लोक कौ टीकौ आयौ, मुदित सकल नर नारी।।
सिव सुरेस सेष औरौ बहु, चतुरानन कर थारी।
हर कर पाटबंध, न्यौछावरि करत रतन पट सारी।।
बाजत ढोल निसान, संख रब होत कुलाहल भारी।
अपने अपने लोक चले सब 'सूरदास' बलिहारी।।3094।।

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