आए लाल ललित भेष किये -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सुघराई


आए लाल ललित भेष किये।
पीक कपोल, अधर पर काजर, जावक भाल दिये।।
चंदन खौरि मेटि अब आए, कुंकुम रंग हिये।
पीतांबर कहँ डारि, कौन को, नीलांबरहि लिये।।
लाली दै, पीरी लै आए, देखत पुलक जिये।
'सूरदास' प्रभु नवल रसीले, बेऊ नवल त्रिये।।2506।।

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