लोचन स्याम जू के सायक।
नैकु चितै वृषभानु नंदिनी, बस करि गोकुल नायक।।
यहै जानि पठई नंदनंदन, तुम सब बिधि सुखदायक।
तू ब्रजनाथ सिरोमनि, सजनी, स्यामसुंदर पिय लायक।।
लग लागे, पागे उर अंतर, कठिन सिलीमुख पायक।
'सूरदास' प्रभु मोहन जोरी, करौ, कुंज मन भायक।।2780।।