भले रे नद के छोहरा डर नहीं, कहा जौ मल्ल मारे बिचारे।
बार ही बार दै हाँक गए कहाँ अब, आपुनै सम अनुर ते हँकारे।।
पौरि गाढ़ी करौ द्वार वीरनि कह, आपु दलकारि मुख गारि दैकै।
बहुरि घर जाहुगे धेनु दुहि खाहुगे, जान दैहौ तुमहिं प्रान लैकै।।
कोउ नहि टरे उहाँ ला आवत कहा, द्वैक पग धारि हरि समुख आयो।
चकित ह्वै कै गयौ, मीचु दरसन भयौ, कहा री मीचु यह कहि सुनायौ।।
स्याम बलराम कौ नाम लै लै कहत मीचु, आई लैन तुमहिं बाजै।
'सूर' प्रभु देखि नृप कोध पूरी घरी, करयौ कटि पीत पट देवराजै।।3076।।