नंद के नंद सब मल्ल मारे निदरि, पौरिया जाइ नृप पै पुकारे।
सुनत ठाढो भयौ, हाँक तिनकौ दयौ, दनुज-कुल-दहन ता तन निहारे।।
सुभट बोले सबै, आइही पुनि कबै, मारि डारे सबै मल्ल मेरे।
अजगरी करि रहे, बचन एई कहे, डर नही करत सुत अहिर केरे।।
रग महलनि खरे, कहा रे तुम करौ, ढाल कर खड्ग तहँ तै चलावै।
जियत अब जाहुगे, बहुरि करिहौ राज, नहीं जानत 'सूर' कहि सुनावै।।3075।।