ऐसे बस्य न काहुहिं कोऊ।
जैसे बस्य नंदनंदन के, ये नैना मेरे दोऊ।।
चंद चकोर नहीं सरि इनकी, एकौ पल न बिसारत।
नाद कुरंग कहा पटतर इन, व्याध तुरत ही मारत।।
ये बस भए सदा सुख लूटत, चतुर चतुरई कीन्हे।
'सूरदास' प्रभु त्रिभुवन के पति, ते इन बस करि लीन्हे।।2282।।