ये नैना अपस्वारथ के -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग जैतश्री


ये नैना अपस्वारथ के।
और इनहि पटतर क्यौ दीजै, जे है बस परमारथ के।।
बिना दोष हमकौ परित्याग्यौ, सुख कारन भए चेरे।
मिले धाइ बरज्यौ नहिं मान्यौ, तक्यौ न दहिनै डेरे।।
इनकौ भलौ होइगौ कैसै, नैकु न सेवा मानी।
'सूर' स्याम इन पर कह रीझे, इनकी गति नहि जानी।।2283।।

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