ये नैना अपस्वारथ के।
और इनहि पटतर क्यौ दीजै, जे है बस परमारथ के।।
बिना दोष हमकौ परित्याग्यौ, सुख कारन भए चेरे।
मिले धाइ बरज्यौ नहिं मान्यौ, तक्यौ न दहिनै डेरे।।
इनकौ भलौ होइगौ कैसै, नैकु न सेवा मानी।
'सूर' स्याम इन पर कह रीझे, इनकी गति नहि जानी।।2283।।