ऐसी को खेलै तोसौ होरी।
बारंबार पिचकारी मारत ता पर बाहँ मरोरी।।
नंद बाबा की गाइ चरावौ हमसौ कर बरजोरी।
छाक छीनि खाते ग्वालनि की करते माखन चोरी।
चोवा चंदन और अरगजा अबिर लिये भरि झोरी।
उडत गुलाल लाल भए बादर केसरि भरी कमोरी।।
बृंदावन की कुंजगलिनि मैं गावौ राधा गोरी।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे दरस कौ चिरजीवौ यह जोरी।। 125 ।।