हरिवंश पुराण विष्णु पर्व अध्याय 39 श्लोक 42-55

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हरिवंश पुराण: विष्णु पर्व: एकोनचत्वा्रिंश अध्याय: श्लोक 42-55 का हिन्दी अनुवाद

हमारे पास युद्ध के लिये रथ नहीं है। हम पैदल ही हैं। हमारे शरीर पर कवच और हाथों में अस्त्र-शस्त्र भी नहीं हैं। हम जरासंध के आक्रमण के भय से नगर को छोड़कर केवल दो ही जने वहाँ से निकल आये हैं। मुनिश्रेष्ठ! इस प्रकार हम दोनों आपके निकट आये हैं। आप हमें सलाह मात्र देकर हमारा सत्कार करें।' उन दोनों का यह निर्दोष वचन सुनकर रेणुकानन्दन भृगुवंशी परशुराम ने उन्हें यह धर्मयुक्त उत्तर दिया- 'प्रभावशाली श्रीकृष्ण! मैं तुम दोनों को सलाह देने के लिये ही इस समय यहाँ अपराह्न से अकेला ही चला आया हूँ। शिष्यों को भी मैंने साथ नहीं लिया है। कमलनयन! तुम्हारा जो व्रज में निवास हुआ है तथा तुम्हारे हाथ से जो दानवों और दुरात्मा कंस का वध हुआ है, वह मुझे विदित है।

सुन्दर मुख वाले पुरुषोतम! जरासंध के साथ होने वाले विग्रह को जानकर ही मैं तुमसे मिलने के लिये यहाँ आ गया हूँ। श्रीकृष्ण! मैं तुम्हें अच्छी तरह जानता हूँ। तुम जगत के रक्षक अविनाशी भगवान हो और देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिये बालक न होने पर भी बालक बनकर प्रकट हुए हो। तीनों लोकों में जो कुछ भी है, वह तुमसे अविदित नहीं है (अत: तुम्हें सलाह देने की कोई आवश्यकता नहीं है) तथापि मैं अपनी भक्ति मात्र से प्रेरित हो तुमसे जो बात कहता हूँ उसे सुनो। गोविन्द! पहले तुम्हारे पूर्वजों ने यहाँ इस करवीरपुर नामक नगर का निर्माण किया और इस राष्ट्र को बसाया है।

श्रीकृष्ण! इस करीवरपुर में इस समय महायशस्वी वासुदेव रहता है, जो श्रृगाल नाम से विख्यात है। वह सदा ही अत्यन्त क्रोध में भरा रहता है। वीर गोविन्द! सदा द्वेष का ही अनुसरण करने वाले उस राजा श्रृगाल ने तुम्हारे कुल में उत्पन्न हुए समस्त उत्तराधिकारी क्षत्रिय नरेशों का मार डाला है। वह नित्य घमंड में भरा रहता है। उसका मन वश में नहीं है। वह दूसरों से अत्यन्त डाह रखता है। राज्य और ऐश्वर्य के मद से उन्मत्त होकर अपने पुत्रों के ‍प्रति भी निर्दयतापूर्ण बर्ताव करता है। नरश्रेष्ठ! इसीलिये यहाँ सर्वदा इस राजा द्वारा कलंकित घोर करवीरपुर में तुम्हारा ठहरना मुझे ठीक नहीं जंचता है। जहाँ रहकर तुम दोनों बन्धु शत्रु को बाधा पहुँचाते हुए बल में बढ़े-चढ़े जरासंध के साथ युद्ध करोगे, उस स्थान का परिचय देता हूँ सुनो।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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