हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 88 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 88 श्लोक 1-5

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जनमेजय उवाच
मुनेअन्धवकवध: श्राव्ये: श्रुतोअयं खलु भो मया।
शान्तिस्त्र याणां लोकानां कृता देवेन धीमता।।1।।

निकुम्भ्स्या हतं देहं द्वितीयं चक्रपाणिना।
यदर्थं च यथा चैव तद् भवान् वक्तुयमर्हति।।2।।

वैशम्पाचयन उवाच
श्रद्दधानस्यप राजेन्द्रत वक्तुव्यंह भवतोअनघ।
चरितं लोकनाथस्यन हरेरमिततेजस:।।3।।

द्वारवत्यांथ निवसतो विष्णोतरतुलतेजस:।
समुद्रयात्रा सम्प्रा प्ताो तीर्थे पिण्डा:रके नृप।।4।।

उग्रसेनो नरपतिर्वसुदेवश्च् भारत।
निक्षिप्तौर नगराध्यरक्षौ शेषा: सर्वे विनिर्गता:।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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