हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 123 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 123 श्लोक 1-5

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वैशम्पायन उवाच

मृतमित्य‍भिविज्ञाय ज्वरं शत्रुनिषूदन:।
कृष्णो् भुजबलाभ्यां तु चिक्षेपाथ महीतले।।1।।

मुक्तोमात्र: बाहुभ्यां कृष्णदेहं विवेश ह।
अमुक्त्वाय विग्रहं तस्या कृष्णस्या प्रतिमौजस:।।2।।

स ह्याविष्टस्तथा तेन ज्वरेणाप्रतिमौजसा।
कृष्ण: स्खलन्निव मुहु: क्षितौ गाढं व्यवर्तत।।3।।

जृम्भते श्वसते चैव वल्गते च पुन: पुन:।
रोमांचोत्थितगात्रश्चट निद्रया चाभिभूयते।।4।।

तत: स्थैटर्यं समालम्य् कृष्णग: परपुरंजय:।
विकुर्वति महायोगी जृम्भतमाण: पुन: पुन:।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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