हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 12 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 12 श्लोक 1-5

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वैशम्‍पायन उवाच
सोपसृत्‍य नदीतीरं बद्ध्‍वा परिकरं दृढम्।
आरोहच्‍चपल: कृष्‍ण: कदम्‍बशिखरं मुदा।।1।।

कृष्‍ण: कदम्‍बशिखराल्‍लम्‍बमानो घनाकृति:।
ह्रदमध्‍येऽकरोच्‍छब्‍दं निपतन्‍नम्‍बुजेक्षण:।।2।।

कृष्‍णेन तत्र पतता क्षुभितो यमुनाह्रद:।
सम्‍प्रासिच्‍यत वेगेन भिद्यमान इवाम्‍बुद:।।3।।

तेन शब्‍देन संक्षुब्‍धं सर्पस्‍य भवनं महत्।
उदतिष्‍ठज्‍जलात् सर्पो रोषपर्याकुलेक्षण:।।4।।

स चोरगपति: क्रुद्धो मेघराशिसमप्रभ:।
ततो रक्‍तान्‍तनयन: कालिय: समदृश्‍यत।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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