हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 89 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 89 श्लोक 1-5

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वैशम्पायन उवाच

रेमे बलश्चन्दनचपंकदिग्ध: कादम्बरीपानकल: पृथुश्री:।
रक्तेक्षणो रे‍वतिमा‍श्रयित्वा प्रलम्बीबाहुर्ललितप्रयात:।।1।।

नीलाम्बु‍दाभे वसेन वसान श्चन्द्रांशुगौरौ मदिराविलाक्ष:।
रराज रामोऽम्बुदमध्यमेत्य सम्पूर्णबिम्बोर भगवानिवेन्दु:।।2।।

वामैककर्णामलकुण्डलश्री: स्मेरं मनोज्ञाब्जरकृतावतंस:।
तिर्यक्कटाक्षं प्रियया मुमोद राम: सुखं चार्वभिवीक्ष्यमाण:।।3।।

अथाज्ञया कंसनिकुम्भशत्रोरुदाररूपोऽप्सरसां गण: स:।
द्रष्टुं मुदा रेवतिमाजगाम वेलालयं स्वपर्गसमानमृद्ध्या।।4।।

तां रेवती चाप्यथ वापि रामं सर्वा नमस्कृत्य वारंगयष्टय:।
वाद्यानुरूपं ननृतु: सुगात्र्य: समन्त्तोऽन्या जगिरे च सम्यक्।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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