हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 34 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 34 श्लोक 1-5

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वैशम्‍पायन उवाच
स कृष्‍णस्‍तत्र सहितो रौहिणेयेन संगत:।
मथुरां यादवाकीर्णां पुरीं तां सुखमावसत्।।1।।

प्राप्‍तयौवनदेहस्‍तु युक्‍तो राजश्रिया विभु:।
चचार मथुरां प्रीति: स वनाकरभूषणाम्।।2।।

कस्‍यचित्त्वथ कालस्‍य राजा राजगृहेश्‍वर:।
शुश्राव निहतं कंसं दुहितृभ्‍यां महीपति:।।3।।

ततो नातिचिरात् कालाज्‍जरासंध: प्रतापवान्।
आजगाम षडंगेन बलेन महता वृत:।।4।।
जिघांसुर्हि यदून् क्रुद्ध: कंसस्‍यापचितिं स्‍मरन्।

अस्ति: प्राप्तिश्‍च नाम्‍ना ते मागधस्‍य सुते नृप।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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