हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 84 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 84 श्लोक 1-5

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वैशम्पायन उवाच

मुहूर्ताभ्युदिते सूर्ये जनचक्षुषि निर्मले।
बल: कृष्ण: सात्यकिश्च तार्क्ष्यधमारुरुहुस्तदा।।1।।

बद्धगोधांगुलित्राणा दंशिता युद्धकांक्षिण:।
बिल्वोधदकेश्वदरं देवं नमस्कृत्य सुरोत्तमम्।।2।।

आवर्तया जले स्नात्‍वा रुद्रेण वरदत्तया।
गंगाया: कुरुशार्दूल रुद्रवाक्येन पुण्यया।।3।।

प्रद्युम्नमग्रे सैन्यदस्य वियति स्था‍प्य मानद:।
रक्षार्थं यज्ञवाटस्यर पाण्डवान् विनियुज्य च।।4।।

शेषां सेनां गुहाद्वारि भगवान् विनियुज्य च।
जयन्त मथ सस्मार प्रवरं च सतां गति:।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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