हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 104 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 104 श्लोक 1-5

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जनमेजय उवाच
य ऐष भवता पूर्वं शम्‍बरघ्‍नेत्‍युदाहृत:।
प्रद्युम्‍न: स कथं जघ्‍ने शम्‍बरं तद् ब्रवीहि मे।।1।।

वैशम्‍पायन उवाच
रुक्मिण्‍यां वासुदेवस्‍य लक्ष्‍म्‍यां कामो धृतव्रत:।
शम्‍बरान्‍तकरो जज्ञे प्रद्युम्‍न: कामदर्शन:।
सनत्‍कुमार इति य: पुराणे परिगीयते।।2।।

तं सप्‍तरात्रे सम्‍पूर्णे निशीथे सूतिकागृहात्।
जहार कृष्‍णस्‍य सुतं शिशुं वै कालशम्‍बर:।।3।।

विदितं तस्‍य कृष्‍णस्‍य देवमायानुवर्तिन:।
ततो न निगृहीत: स दानवो युद्धदुर्मद:।।4।।

स मृत्‍युना परीतायुर्मायया संजहार तम्।
दोर्भ्‍यामुत्क्षिप्‍य नगरं स्‍वं निनाय महासुर:।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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