हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 70 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 70 श्लोक 1-5

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वैशम्पायन उवाच

देवराजवच: श्रुत्वा् नारद: कुरुनन्दन।
प्रोवाच वाक्यं वाक्यज्ञो धर्मात्मा धर्मवित्त‍म:।।1।।

अवश्यमेव वक्ताव्यं हितं बलनिषूदन।
मया तव महाबाहो बहुमानोऽस्ति मे त्व्यि।।2।।

उक्तो मया वासुदेवो जानता भवतो मतम्।
न दत्त: पारिजातोऽयं हरस्यापि त्व या पुरा।।3।।

हेतवश्चम मया तस्यर दर्शितास्ते समासत:।
न चावगतवान् देव: सत्यमेतद् ब्रवीमि ते।।4।।

उपेन्द्रोऽहं महेन्द्रेण लालनीय: सदेति माम्।
उवाच पुण्डरीकाक्षो दत्तेमुत्तरमेव च।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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