हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 72 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 72 श्लोक 1-5

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वैशम्पायन उवाच

अथैत्य द्वारकां रम्यां नारदो मुनिसत्तरम:।
ददर्श पुरुषश्रेष्ठं नारायणमरिंदमम्।।1।।

स्ववेश्मंनि सुखासीनं सहितं सत्यभामया।
विराजमानं वपुषा सर्वतेजोऽतिगामिना।।2।।

तमेवार्थं महात्मानं चिन्तनयन्तं दृढव्रतम्।
केवलं योजयन्तं‍ च वाक्यमात्रेण भाविनीम्।।3।।

दृष्टै्व नारदं देव: प्रत्यु्त्थाय अधोक्षज:।
पूजयामास च तथा विधिदृष्टेन कर्मणा।।4।।

सुखोपविष्टं विश्रान्तं प्रहस्या मधुसूदन:।
वृत्तान्तं परिप्रच्छत पारिजाततरुं प्रति।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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