हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 83 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 83 श्लोक 1-5

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वैशम्पाषयन उवाच

एतस्मिन्नेव काले तु चतुर्वेदषडंगवित्।
ब्राह्मणो याज्ञवल्यकालस्य शिष्यो धर्मगुणान्वित:।।1।।

ब्रह्मदत्तेति विख्यातो विप्रो वाजसनेयिवान्।
अश्वमेध: कृतस्तेन वसुदेवस्य धीमत:।।2।।

स संवत्स‍रदीक्षायां दीक्षित: षट्पुरालय:।
आवर्ताया: शुभे तीरे सुनद्या मुनिजुष्टया।।3।।

सखा च वसुदेवस्य सहाध्यायी द्विजोत्तम:।
उपाध्यायश्च कौरव्य क्षीरहोता महात्मन:।।4।।

वसुदेवस्तत्र यातो देवक्या सहित: प्रभो।
यजमानं षट्पुरस्थं यथा शक्रो बृहस्पतिम्।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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