हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 24 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 24 श्लोक 1-5

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वैशम्‍पायन उवाच

अन्‍धकस्‍य वच: श्रुत्‍वा कंस: संरक्‍तलोचन:।
न किंचिदब्रवीत् क्रोधाद् विवेश स्‍वं निकेतनम्।।1।।

ते च सर्वे यथावेश्‍म यादवा: श्रुतिविस्‍तरा:।
जग्‍मुर्विगतसंकल्‍पा: कंसवैकृतशंसिन:।।2।।

अक्रूरोऽपि यथाऽऽज्ञप्‍त: कृष्‍णदर्शनलालस:।
जगाम रथमुख्‍येन मनसा तुल्‍यगामिना।।3।।

कृष्‍णस्‍यापि निमित्‍तानि शुभान्‍यंगगतानि वै।
पितृतुल्‍येन शंसन्ति बान्‍धवेन समागमम्।।4।।

प्रागेव च नरेन्‍द्रेण माथुरेणौग्रसेनिना।
केशिन: प्रेषितो दूतो वधायोपेन्‍द्रकारणात्।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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