हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 13 श्लोक 1-5

हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (संस्कृत) अध्याय 13 श्लोक 1-5

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वैशम्‍पायन उवाच

दमिते सर्पराजे तु कृष्‍णेन यमुनाह्रदे।
तमेव चरतुर्देशं सहितौ रामकेशवौ।।1।

आजग्‍मतुस्‍तौ सहितौ गोधनै: सह गामिनौ।
गिरिं गोवर्धनं रम्‍यं वसुदेवसुतावुभौ।।2।।

गोवर्धनस्‍योत्तरतो यमुनातीरमाश्रितम्।
ददृशाते च तौ वीरौ रम्‍यं तालवनं महत्।।3।।

तौ तालपर्णप्रतते रम्‍ये तालवने रतौ।
चेरतु: परमप्रीतौ वृषपोताविवोद्धतौ ।।4।।

स तु देश: सदा स्न्निग्धो लोष्‍टापाषाणवर्जित:।
दर्भप्रायस्‍थलीभूत: सुमहान् कृष्‍णमृत्तिक:।।5।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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