हरिवंश पुराण विष्णु पर्व अध्याय 35 श्लोक 1-13

Prev.png

हरिवंश पुराण: विष्णु पर्व: पञ्चत्रिंश अध्याय: श्लोक 1-13 का हिन्दी अनुवाद

जरासंध की सेना का वर्णन, उसकी चारों दिशाओं से मथुरापुरी पर आक्रमण की योजना, यादवों के साथ जरासंध की सेना का युद्ध, श्रीकृष्ण और बलराम के पराक्रम से उसकी सेना का पलायन, जरासंध द्वारा अपने सैनिकों को प्रोत्साहन तथा उभय-पक्ष के वीरों में घमासान युद्ध

वैशम्पायन जी कहते हैं- जनमेजय! वे सब नरेश मथुरा के उपवन में पहुँचकर छावनी डाले हुए थे। वहाँ समस्त वृष्णिवंशियों ने श्रीकृष्ण को आगे करके उन्हें देखा। तब श्रीकृष्ण ने मन-ही-मन प्रसन्न होकर बलराम जी से कहा- ‘आर्य! देवताओं का कार्य एवं प्रयोजन शीघ्र ही होना चाहता है- इसमें संशय नहीं है। तभी तो यह राजा जरासंध स्वयं ही हमारे निकट आ पहुँचा। यह वायु के समान वेगशाली रथों की ध्वजाओं के अग्रभाग दिखाई दे रहे हैं।

भैया! विजय की इच्छा से आये हुए राजाओं के ये चन्द्रमा- जैसे श्वेत एवं ऊंचे-ऊंचे छत्र शोभा पा रहे हैं। अहो! राजाओं के रथों पर ऊंची-ऊंची निर्मल एवं शुभ्र छत्र–पंक्तियां आकाश में हंस की पांतों के समान शोभा पाती हुई हमारे निकट आ रही हैं। पृथ्वीपति जरासंध ठीक समय पर आ पहुँचा है। यह हम दोनों के युद्ध की कसौटी तथा समरांगण का पहला अतिथि है। आर्य! उस राजा के आ जाने पर हम दोनों साथ ही रहें। युद्ध का आरम्भ पीछे होगा। पहले उसकी सेना कितनी है, उसका विचार कर लें।' ऐसा कहकर श्रीकृष्ण स्वस्थ-चित्त से संग्राम की लालसा रखकर जरासंध की शक्ति का पता लगाने के लिये उसकी सेना का निरीक्षण करने लगे। अविनाशी यदुकुलतिलक मन्त्रवेत्ता श्रीकृष्ण उन सब राजाओं को देखकर अपने-आप ही मन में इस प्रकार कहने लगे-

‘ये हैं वे भूपाल, जो चित्त मार्ग पर स्थित हैं और शास्त्रोक्त विधि से विनाश को प्राप्त होने वाले हैं। मैं समझता हूँ कि मृत्यु ने रण-यज्ञ की आहुति बनाने के लिये इन श्रेष्ठ नरेशों का प्रोक्षण किया है। इनके स्वर्गगामी शरीर भी प्रकाशित हो उठे हैं। यह पृथ्वी इन मुख्य-मुख्य नरेशों के सैन्य–समुदाय से पीड़ित हो महान भार से थककर जो देवलोक में गयी थी, वह इसका जाना उचित ही था। इन राजाओं के सैन्य-समुदाय से आवृत होकर यहाँ की भूमि ठसाठस भर गयी है। कहीं थोड़ा-सा भी अवकाश नहीं रह गया है; परंतु थोड़े ही समय में जब ये सैकड़ों नरेश सैन्य-सहित मार गिराये जायेंगे, तब‍ यह भूतल निर्जन-सा हो जायेगा।'

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः