स्याम हँसे प्यारी मुख हेरौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गौरी


स्याम हँसे प्यारी मुख हेरौ।
रिसनि उठी झहराइ, कह्यौ यह, बस कीन्हौ मन मेरौ।।
जाइ हँसौ पिय ताही आगै, मैं रीझी अति भारी।
ऐसै हँसि हँसि ताहिं रिझावहु, देहु कहा अब गारी।।
होत अबार गबन अब कीजै, धरनी कहा निहारत।
'सूर' स्याम मन की मैं जानी, ताके गुनहिं बिचारत।।2545।।

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