सुनहुँ सखी राधा कहनावति -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलाबल


सुनहुँ सखी राधा कहनावति।
हम आई याकै जिहि कारन, सो यह प्रगट सुनावति।।
हम देख्यौ सोई इन देख्यौ, ऐसैहि दोष लगावति।
यह पुनीत हमही अपराधिनि, तनु अपराध बढ़ावतिं।।
इतनैहि रहौ और जनि भाषहु, अजहूँ लाज न आवति।
'सूर' स्याम राधा जौ एकै, तऊ नही कहि आवति।।2059।।

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