सखी मैं सुनी बात इक आज -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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गोपीवचन




सखी मैं सुनी बात इक आज।
पाती लै आए है ऊधौ, पठई दै ब्रजराज।।
तजि तजि भोग जोग आराधौ, यहै लिख्यौ है मूल।
सही न जाति सुनत मरियत है, उठत करेजे सूल।।
जप तप नेम धरम औ सजम, बिधवा कौ व्यौहार।
जुग जुग जियौ हमारे सिर पर, जसुदा नंदकुमार।।
खसम अछत तन भसम लगावै, कहौ कहाँ की रीति।
तुम तौ चतुर सकल बिधि ऊधौ, वै तौ करत अनीति।।
हमरे जोग नंदनंदन व्रत, निसि दिन उन गुन गावतिं।
'सूरदास' प्रभु खोरि तुम्है नहिं, कुबिजा नाच नचावति।। 160 ।।

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