राधिके बदन की बलि लहु -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

Prev.png




राधिके बदन की बलि लहु।
कोटि मदन बसत रितु ससि करि निछावर देहु।।
लोल लट सु कपोल राजति खुभी खुटिला चारु।
अकल झलकति झिलमिली अति नील सिर पर सारि।।
भ्रकुटि भंग भिरंग राजति चिबुक साँवल बिंद।
‘सूर’ स्वामी नैन सौ मिलि नैन रसिक गुबिंद।। 102 ।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः